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| { | |
| "title": "१. मुसावादवग्गो", | |
| "book_name": "७. अधिकरणसमथा (भिक्खुनीविभङ्गो)", | |
| "chapter": "१. मुसावादसिक्खापदं", | |
| "gathas": [ | |
| "मनापं भासमानस्स, गरुं भारं उदब्बहि।", | |
| "धनञ्च नं अलाभेसि, तेन च, त्तमनो अहूति॥", | |
| "मुसा", | |
| "अञ्ञत्र विञ्ञुना भूता, दुट्ठुल्लापत्ति खणनाति॥", | |
| "भूतं", | |
| "पुब्बे निक्कड्ढनाहच्च, द्वारं सप्पाणकेन चाति॥", | |
| "सोका न भवन्ति तादिनो, उपसन्तस्स सदा सतीमतो’’ति॥", | |
| "असम्मतअत्थङ्गतू", | |
| "सिब्बति अद्धानं नावं भुञ्जेय्य, एको एकाय ते दसाति॥", | |
| "पिण्डो गणं परं पूवं, द्वे च वुत्ता पवारणा।", | |
| "विकाले सन्निधी खीरं, दन्तपोनेन ते दसाति॥", | |
| "पूवं कथोपनन्दस्स, तयंपट्ठाकमेव च।", | |
| "महानामो पसेनदि, सेनाविद्धो इमे दसाति", | |
| "सुरा अङ्गुलि हासो च", | |
| "जोतिनहानदुब्बण्णं, सामं अपनिधेन चाति॥", | |
| "सञ्चिच्चवधसप्पाणं, उक्कोटं दुट्ठुल्लछादनं।", | |
| "ऊनवीसति सत्थञ्च, संविधानं अरिट्ठकं।", | |
| "उक्खित्तं कण्टकञ्चेव, दस सिक्खापदा इमेति॥", | |
| "सहधम्म-विवण्णञ्च, मोहापनं पहारकं।", | |
| "तलसत्ति अमूलञ्च, सञ्चिच्च च उपस्सुति।", | |
| "पटिबाहनछन्दञ्च, दब्बञ्च परिणामनन्ति॥", | |
| "रञ्ञो च रतनं सन्तं, सूचि मञ्चञ्च तूलिकं।", | |
| "निसीदनञ्च कण्डुञ्च, वस्सिका सुगतेन चाति॥", | |
| "यो चायं मन्तं वाचेति, यो चाधम्मेनधीयति॥", | |
| "‘‘सालीनं ओदनो भुत्तो, सुचिमंसूपसेचनो।", | |
| "तस्मा धम्मे न वत्तामि, धम्मो अरियेभि वण्णितो॥", | |
| "‘‘धिरत्थु", | |
| "या वुत्ति विनिपातेन, अधम्मचरणेन वा॥", | |
| "‘‘परिब्बज महाब्रह्मे, पचन्तञ्ञेपि पाणिनो।", | |
| "मा त्वं अधम्मो आचरितो, अस्मा कुम्भमिवाभिदा’’ति॥", | |
| "हंसराजं गहेत्वान, सुवण्णा परिहायथा’’ति॥" | |
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| } |